पल-पल गिरगिट की तरह रंग बदलता है आदमी। नित्य करै भूल, गलती का पुतला है आदमी। पल-पल गिरगिट की तरह रंग बदलता है आदमी। नित्य करै भूल, गलती का पुतला है आद...
माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति
मुझे नहीं पता कि मैं कितना सीखता हूं सीधे अनुपात मुस्कुराते रहो,सब कुछ संभव है, दूसर मुझे नहीं पता कि मैं कितना सीखता हूं सीधे अनुपात मुस्कुराते रहो,सब कुछ संभ...
चल तुझे तेरे हाल पर छोड़ते हैं ऐ जिंदगी! जिस ईश्वर की बदौलत तू मिली है उसने भी तो क चल तुझे तेरे हाल पर छोड़ते हैं ऐ जिंदगी! जिस ईश्वर की बदौलत तू मिली है ...
यूँ चाहा था समझना नारी की सहज प्रकृति को यूँ चाहा था समझना नारी की सहज प्रकृति को
बातें. हाँ शायद मैं इन्ही बातों में आ गई। बातें. हाँ शायद मैं इन्ही बातों में आ गई।